अधिकांश लोग अपनी स्थिर ज़िंदगी छोड़कर, सब कुछ बेचकर, अनजान समंदर की ओर निकलने का केवल सपना ही देखते हैं। लेकिन कैप्टन गौरव गौतम और वैदेही चितनवीस के लिए यह सपना हकीकत बन गया।
2022 में, सालों की योजना और एक लंबे अरसे से पाले गए सपने को साकार करते हुए, उन्होंने ज़मीन की पारंपरिक ज़िंदगी को अलविदा कहा और रीवानामक 42-फुट की सेलबोट पर अपना नया सफर शुरू किया। यह नाव उनकी बेटी काया के मिडल नेम पर रखी गई है।
सपने से हकीकत तक का सफर
सेना में अपनी सेवा पूरी करने के बाद, कैप्टन गौतम ने इस जीवनशैली पर करीब सात साल तक रिसर्च की। कोविड-19 महामारी ने उनके लिए यह सपना पूरा करने का सही मौका दिया, जब नावों की कीमतें किफायती हो गईं और यह सफर संभव लगने लगा।
जब उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या वह सब कुछ बेचकर दुनिया घूमने के लिए तैयार हैं, तो उन्होंने बिना किसी झिझक के हां कह दिया। अगले 18 महीनों में उन्होंने नौकरी छोड़ दी, संपत्तियां बेच दीं, सही नाव चुनी और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने Travel and Leisure को बताया कि “हमारे लिए सबसे कठिन फैसला इसे अपनाने का था।“
रीवा: उनका तैरता हुआ घर
रीवा ही अब उनका घर है। हर दिन एक नई चुनौती और नई खोज लेकर आता है। नाव पर रहना एक अलग ही जीवनशैली है—जहां हर तूफान एक सीख, हर पाल बदलना एक कसरत, और हर सूर्यास्त एक इनाम जैसा होता है।
उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा,
“सेलबोट पर रहने का मतलब जिम जाने की जरूरत नहीं, क्योंकि हर पाल बदलना ही एक फुल-बॉडी वर्कआउट है। तेज़ हवाओं में जेनेवा फर्लिंग करना या मेन सेल उठाना असली रेज़िस्टेंस ट्रेनिंग है—ओशन एडिशन!”
बाहें, कोर, पैर—सबकी कसरत होती है।
समंदर पर ‘वन-लाइफ’
अब तक वे खूबसूरत समुद्री किनारों की यात्रा कर चुके हैं, विभिन्न संस्कृतियों में घुल-मिल चुके हैं और दुनियाभर के स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठा चुके हैं।
अगर उनसे पूछा जाए कि नाव पर जीवन को तीन शब्दों में कैसे परिभाषित करेंगे, तो उनका जवाब होगा—
🚢 “स्वतंत्रता, न्यूनतम जीवनशैली और रोमांच!”
वे Reeva पर जीवन को “वन लाइफ ऑन ओशन्स” कहते हैं—जहां वे अपनी नाव पर पूरा समय बिताते हैं, नई जगहों की खोज करते हैं, और समुद्र को अपना राजमार्ग बना चुके हैं।
जहां चाहें, वहां जाएं
ज़मीन की तरह तयशुदा रास्तों पर चलने के बजाय, वे अपने मौसम, छुपे हुए समुद्री तटों और अचानक मिले रोमांच की ओर बढ़ते हैं।
- उनकी रातें कभी तारों भरे आसमान के नीचे, कभी शांत समुद्र तटों के पास, तो कभी चहल-पहल भरी मरीना में लंगर डालकर बितती हैं।
- तटीय कस्बे और द्वीप उनके लिए रोडसाइड कैफे की तरह हैं, जहां वे ताज़ा समुद्री भोजन और स्थानीय स्वादों का आनंद लेते हैं।
- उनका दैनिक जीवन नौकायन, नेविगेशन, और संसाधनों के प्रबंधन के इर्द-गिर्द घूमता है—जल, ऊर्जा और हवा को समझना ही उनकी दिनचर्या है।
समुद्र ही घर, नाविक ही परिवार
उनकी समुद्री दुनिया में केवल साथी नाविक ही नहीं, बल्कि समुद्री जीव-जंतु भी उनके पड़ोसी हैं।
Reeva पर जगह सीमित है, लेकिन उन्होंने न्यूनतम जीवनशैली को अपनाया है।
“यह जीवन स्वतंत्रता, रोमांच और प्रकृति के करीब रहने के बारे में है,” वे कहते हैं।
खाने-पीने में भी एडवेंचर!
नाव पर पारंपरिक भारतीय व्यंजन बनाना मुश्किल होता है, क्योंकि—
- फ्राइंग संभव नहीं क्योंकि नाव का कंपन इसे खतरनाक बना सकता है।
- प्रोपेन गैस सीमित होती है, जिससे लंबे समय तक पकाने से बचते हैं।
- वे ज्यादातर एक पॉट में बनने वाले व्यंजन, जैसे प्रेशर कुकर में बिरयानी बनाते हैं।
पानी की कमी सबसे बड़ी चुनौती है।
- लंबे शॉवर लेना एक सपना है—वे समुद्री पानी से नहाकर, साफ पानी से केवल कुल्ला करते हैं।
- रीवा पर सस्टेनेबिलिटी अहम है, इसलिए वे सोलर पैनल, विंड जनरेटर और वर्षा जल संग्रहण का उपयोग करते हैं।
सिर्फ रोमांच नहीं, बल्कि सतर्कता भी
नौकायन सिर्फ सुंदर सूर्यास्त देखने तक सीमित नहीं है। यह लगातार सतर्क रहने, मौसम की निगरानी रखने और चुनौतियों से जूझने की कला भी है।
अब तक 11 लोग उनके साथ इस सफर में शामिल हो चुके हैं, अनगिनत यादें बन चुकी हैं, और कई रोमांचक यात्राएं अभी बाकी हैं।
वे लगातार दूसरों को अपने सपनों के पीछे भागने के लिए प्रेरित कर रहे हैं—क्योंकि सच में, ज़िंदगी सिर्फ जीने के लिए नहीं, बल्कि खोजने के लिए बनी है! 🚢🌊💙